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What is Akhand Bharat Concept, Akhand Bharat History in Hindi (क्या है अखंड भारत का इतिहास), Expansion of Akhand Bharat, Modern Concept of Akhand Bharat
नई संसद आर्ट गैलरी में स्थापित अखंड भारत (Akhand Bharat) म्यूरल आर्ट विवादों में घिर गया है। इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी फोटो ट्वीट करते हुए लिखा- संकल्प स्पष्ट है।
इस पर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाल सोशलिस्ट पार्टी के नेता बाबूराम भट्टाराई ने सवाल खड़ा करते हुए अपने एक ट्वीट में चेतावनी दी, कि यह म्यूरल आर्ट भारत के पड़ोसी देशों के बीच गैरजरूरी और नुकसानदायक संघर्षों को बढ़ावा दे सकता हैं। उनके आपसी रिश्ते में पहले से ही भरोसे की कमी है, जो अभी और बिगड़ सकती है। इसलिए भारत अपनी मंशा जाहिर करे और हमें इसका स्पष्टीकरण भेजे।
जब हमने ‘अखंड भारत’ के बारे में खोज शुरू की तो 4 तरह की बातें पता चली-
पूजा के दौरान एक मंत्र का जाप किया जाता है।
|| जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्याव्रत देशांतर्गते ||
इस मंत्र में ‘जम्बूद्वीप’ को पृथ्वी के सात द्वीपों (जम्बू, प्लक्ष, शाल्मल, कुश, क्रौंच, शक, पुष्कर) में से एक बताया गया है, जो सभी द्वीपों के मध्य में स्थित है। जम्बूद्वीप को ‘अखंड’ भारत के रूप में पेश किया जाता है।
1941 में, पंडित पांडुरंग वामन की पुस्तक भंडारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित की गई थी। इसमें लिखा है कि, ‘भारतवर्ष के अंतर्गत अनेक देश आते थे और भारतवर्ष ‘जम्बूद्वीप के अंतर्गत‘ था।
इतिहासकार दिनेशचंद्र सरकार ने अपनी पुस्तक ‘स्टडी इन द जियोग्राफी ऑफ एंशिएंट एंड मिडीवल इंडिया’ में दावा किया है कि सबसे पुरानी सभ्यता की निशानी सिंधु घाटी सभ्यता में ‘भारतवर्ष’ की प्राचीन सभ्यता के निशान मिलते हैं।
यह पुरातात्विक साक्ष्य लगभग 8000 वर्ष पुराना बताया जाता है। जबकि वैदिक काल 3500 वर्ष पुराना है। ऐसे में उन्होंने ‘भारतवर्ष’ की स्थापना को वैदिक काल से भी पुराना बताया है। हालांकि बाद में अखंड भारत कई गणराज्यों में बिखर गया था।
321 ईसा पूर्व में आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन में, सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा बिखरे हुए गणराज्यों को मिलाकर फिर ‘अखंड भारत को संगठित किया गया था। 340 ईसा पूर्व में, चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म पाटलिपुत्र में हुआ था, जो अब बिहार का एक हिस्सा है। चंद्रगुप्त ने स्वतंत्र राज्यों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
322 ईसा पूर्व में, चंद्रगुप्त मौर्य नंद साम्राज्य को हराने और उस पर कब्जा करने में सफल रहे। चंद्रगुप्त मौर्य ने तब सिकंदर के कब्जे वाले क्षेत्रों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस और चंद्रगुप्त के बीच युद्ध हुआ, जिसमें चंद्रगुप्त की जीत हुई।
इसके बाद उन्होंने सिकंदर के सेनापति रहे सेल्यूकस के साथ एक कूटनीतिक समझौता किया और उसकी बेटी हेलेन (Helena) से शादी कर ली।
राधा कुमुद मुखर्जी की पुस्तक ‘चंद्रगुप्त मौर्य एंड हिज़ टाइम’ में उल्लेख है कि चंद्रगुप्त के बाद उनके पुत्र बिंदुसार और पोते अशोक मौर्य ने पूर्वी तट पर कलिंग और दक्षिण तट पर तमिल राज्य पर भी विजय प्राप्त कर लिया था। इस प्रकार मौर्य साम्राज्य पश्चिम में फारस यानी ईरान से लेकर पूर्व में बंगाल तक, उत्तर में कश्मीर से लेकर कर्नाटक और दक्षिण में तमिल तक फैला हुआ था। इसे ही ‘अखंड भारत’ कहा जाता है।
185 ईसा पूर्व में, मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया जिसके बाद ‘अखंड भारत’ पूरी तरह से बिखर गया। उसके बाद शांग, किन, शक, सातवाहन, कुषाण और दक्षिण भारत में चोल, चेर और पांड्य जैसे कई साम्राज्य बन गए।
श्रीलंका, जो कभी ‘अखंड भारत’ के चोल और पांड्य राज्यों का हिस्सा था, 1310 ई. के बाद स्वतंत्र हो गया। कुछ समय बाद ब्रिटेन ने श्रीलंका पर कब्जा कर लिया लेकिन वह उसे एक अलग देश मानता रहा।
870 ईस्वी में, अफ़ग़ानिस्तान पर अरब सेनापति याक़ूब अलीस, फिर मुगलों और अंत में अंग्रेजों ने कब्जा किया। 26 मई, 1876 को रूस और ब्रिटेन के बीच गंडमक की संधि पर हस्ताक्षर किए गए। इसके कारण अफगानिस्तान एक बफर स्टेट बन गया जो 18 अगस्त 1919 को ब्रिटेन से स्वतंत्र हो गया।
1907 में ब्रिटेन ने भूटान को ‘अखंड भारत’ से अलग कर वहां उग्येन वांगचुक के नेतृत्व में राजशाही की स्थापना की। फिर 1937 में बर्मा भी भारत से अलग हो गया। 947 में पाकिस्तान भी भारत से अलग हो गया। बाद में, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, पाकिस्तान दो भागों में विभाजित हो गया और एक नए देश बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
1924 में वीर सावरकर 11 साल बाद अंडमान निकोबार जेल से बाहर आए। इसके बाद उन्होंने अपनी पुस्तक ‘माई ट्रांसपोर्टेशन फॉर लाइफ’ में अखंड भारत का जिक्र किया। वीर सावरकर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ‘अखंड भारत’ के विचार का जनक माना जाता है।
1937 में हिंदू महासभा की 19वीं वर्षगांठ के अवसर पर सावरकर ने कहा, ‘हिंदुस्तान को अखंड रहना चाहिए।’ इसमें कश्मीर से लेकर रामेश्वरम और सिंध से असम तक शामिल हैं।
BJP और RSS सावरकर के ‘अखंड भारत’ के सपने को पूरा करना चाहते हैं, जिसमें पाकिस्तान और चीन के कब्जे वाले कश्मीर के अलावा पाकिस्तान का सिंध भी शामिल हैं। RSS के सरसंघचालक सदाशिव गोलवलकर ने भी 1949 में कोलकाता में कहा था, ‘पाकिस्तान एक अनिश्चित राष्ट्र है, ऐसे में इसे मिलाकर ‘अखंड भारत’ बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
अखंड भारत की स्थापना करने वाले प्रथम सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के पोते और सम्राट बिंदुसार के दूसरे पुत्र सम्राट अशोक मौर्य वंश (अखंड भारत) के अंतिम राजा थे।
2500 साल पहले हमारे देश पर विदेशियों ने आक्रमण किए। इसमें विशेष रूप से फ्रांसीसी, डच, कुषाण, शक हूण, यवन, यूनानी और ब्रिटिश आक्रमणकारियों ने भारत का विभाजन किया। भारत के 24 खंड बनाए जिनसे भारत के पड़ोसी देशों का निर्माण हुआ।
सिन्धु सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिन्धु भी था, जिसे यूनानी भाषा में इंडो या इंडस भी कहा जाता था। जब यह शब्द लैटिन भाषा में पहुंचा तो यह बदलकर इंडिया हो गया, लेकिन जब अंग्रेज भारत आए, उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था।