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History of Campa Cola Soft Drink, Non alcoholic beverages market in India, Indian Soft Drink Industry, Pure Drinks Group, कैंपा कोला इंडियन मार्केट में क्यों फेल हुआ, कैम्पा कोला के लिए विशेष अभियान
रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) कैंपा कोला (Campa Cola) को देश भर में वितरित करने के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ गठजोड़ कर रही है। जाहिर है कि कोका-कोला और पेप्सी के बीच तनाव बढ़ेगा। पहले से ही रिलायंस के प्राइस वॉर ने इन कोल्ड ड्रिंक कंपनियों के बीच तनाव बढ़ा दिया है।
मुकेश अंबानी की Campa Cola को बड़ा बनाने की बड़ी योजना है। इस बार उन्होंने श्रीलंका की सीलोन बेवरेजेज इंटरनेशनल कंपनी के साथ साझेदारी की है। सीलोन बेवरेजेज इंटरनेशनल का स्वामित्व विश्व प्रसिद्ध स्पिनर और श्रीलंका के पूर्व खिलाड़ी मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) के पास है। इस सौदे से कैंपा कोला के विस्तार में मदद मिलेगी।
रिलायंस रिटेल ने कैंपा कोला के कैन की को-पैकिंग के लिए सीलोन बेवरेजेज इंटरनेशनल (Ceylon Beverages International) के साथ करार किया है। इसके अलावा दोनों कंपनियों के बीच मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए भी करार हुआ है।
रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) ने सीलोन बेवरेजेज इंटरनेशनल को कैंपा कोला बेवरेज ब्रांड के कैनिंग ऑपरेशंस के लिए कॉन्ट्रैक्ट पैकेजिंग पार्टनर के रूप में साइन किया हुआ सौदा भारत में श्रीलंका स्थित सीलोन बेवरेज के एनर्जी ड्रिंक्स और जूस के लिए रिलायंस कंज्यूमर डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स दे सकता है, जिससे देश के ₹67,000 करोड़ शीतल पेय बाजार में इसकी उपस्थिति बढ़ जाएगी।
Ceylon Beverage कैंपा ब्रांड के राष्ट्रीय विस्तार का समर्थन करने के लिए भारत में एक पैकेजिंग सुविधा भी स्थापित कर सकता है; वर्तमान में, कैंपा कैन अपने श्रीलंकाई कारखाने से सीधे आयात पर निर्भर है। रिलायंस कंज्यूमर ने पहले से ही कैंपा ब्रांड के लिए कई भारतीय निर्माताओं और वितरकों के साथ साझेदारी की है, जिसमें तमिलनाडु स्थित एशियन बेवरेजेज और काली एरेटेड वाटर वर्क्स शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गैर मादक पेय पदार्थों (Non-alcoholic beverages market in India) का बाजार 2030 तक 8.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर ₹1.47 ट्रिलियन तक पहुंच सकता है। इकोनॉमिक पॉलिसी थिंक टैंक ICRIER की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में कुल शीतल पेय बाजार का आकार, जिसमें कार्बोनेटेड शीतल पेय, जूस, बोतलबंद पानी और फलों पर आधारित पेय शामिल हैं, ₹67,100 करोड़ था।
जबकि कार्बोनेटेड शीतल पेय (सीएसडी), रेडी-टू-ड्रिंक चाय (आरटीडी), एनर्जी ड्रिंक और स्पोर्ट्स ड्रिंक का वैश्विक बाजार में 60% से अधिक हिस्सा है। भारत में, कार्बोनेटेड पेय सबसे लोकप्रिय हैं, इसके बाद बोतलबंद पानी, फलों के पेय और जूस आते हैं। हालांकि, रिपोर्ट खपत पैटर्न में बदलाव दिखाई दिया है, यह दर्शाता है कि CSDs धीमी दर से बढ़ रहे हैं, जबकि पैकेज्ड पानी, स्पोर्ट्स ड्रिंक और चाय और कॉफी-आधारित पेय जैसे क्षेत्रों में खपत बढ़ रही है।
2018 में भारत की वार्षिक प्रति व्यक्ति बिक्री 21.36 लीटर थी, जो फिलीपींस जैसे अन्य विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति बिक्री की तुलना में बहुत कम है, जो उसी वर्ष 111.89 लीटर और वियतनाम में 69.75 लीटर थी। इस बीच, इस तरह के शीतल पेय की बिक्री से भारत का प्रति व्यक्ति राजस्व 2019 में 8.89 डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था, जो कि अमेरिका जैसे बाजारों से 1,030 डॉलर और चीन के 67.05 डॉलर से काफी कम है।
मीठे पेय पदार्थों के अधिक सेवन से उपभोक्ताओं को अत्यधिक खपत से रोकने के लिए इस क्षेत्र पर भारी कर लगाया जाता है। अधिकांश गैर-मादक पेय पदार्थों पर 12-18% की मानक दर या 28% की शीर्ष दर से कर लगाया जाता है।
2023 में शीतल पेय खंड का राजस्व US$8.85bn होने का अनुमान है। 2023-2027 के दौरान बाजार के सालाना 5.40% सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। वैश्विक तुलना में, सबसे अधिक राजस्व संयुक्त राज्य अमेरिका (2023 में US$328.10bn) में उत्पन्न हुआ है। कुल जनसंख्या के आंकड़ों के संबंध में, 2023 में प्रति व्यक्ति राजस्व US$6.23 उत्पन्न हुआ है।
सीलोन बेवरेजेज का श्रीलंकाई प्लांट सबसे बड़ी बेवरेज कैनिंग और फिलिंग कंपनियों में से एक है। इसकी क्षमता हर 300 मिलियन बेवरेज कैन को भरने की है। सीलोन बेवरेजेज दुनिया भर की बेवरेज कंपनियों को कैन की आपूर्ति करता है। कंपनी का उत्पादन प्रति घंटे 48000 कैन से अधिक है। इस डील से रिलायंस रिटेल वेंचर्स को काफी फायदा होगा। कंपनी छोटे और मध्यम आकार के वितरकों तक तेजी से पहुंचना चाहती है।
कंपनी के सामने कोका-कोला और पेप्सिको जैसे बड़े खिलाड़ी है। इन कंपनियों से मुकाबला करने के लिए कैंपा कोला को अपना नेटवर्क बढ़ाना होगा और सप्लाई बढ़ानी होगी। यह सौदा रिलायंस को बड़ी बेवरेज कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर देगा।
1949 में भारत में प्रवेश करने वाला एक विदेशी ब्रांड कोका-कोला 1970 के दशक तक देश का सबसे लोकप्रिय कोल्ड ड्रिंक था। लेकिन साल 1975 में इमरजेंसी के बाद चुनाव हुए और जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जार्ज फर्नांडिस को सौंप दिया गया।
और बाद में उन्हें उद्योग मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया। उनकी नीतियों ने विदेशी ब्रांड कोका-कोला को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। पदभार ग्रहण करते ही जॉर्ज फर्नांडिस ने सभी विदेशी कंपनियों को नोटिस जारी कर दिए। उस समय कोका-कोला का वितरण मुंबई में प्योर ड्रिंक्स ग्रुप (Pure Drinks Group) द्वारा संभाला जाता था।
1973 में FERA संशोधन का पालन करना कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। इस पर अन्य कंपनियां तो सहमत हुईं, लेकिन कोका-कोला इसके लिए तैयार नहीं हुई। कोका-कोला की समस्या इसके उसकी सीक्रेट रैसिपी से जुड़ी थी, एक सीक्रेट सॉस जो अंतिम उत्पाद का केवल 4% था, जो कोक के प्रसिद्ध स्वाद के लिए जिम्मेदार था।
इस वजह से कोक इसे गुप्त रखना चाहता था। कोक ने नए कानून का पालन करने के बजाय भारत से बाहर जाना बेहतर समझा। कोका-कोला के भारत छोड़ने के बाद, इसके डिस्ट्रीब्यूशन का काम संभाल रहे प्योर ड्रिंक्स ग्रुप (Pure Drinks Group) ने मौके का फायदा उठाते हुए कैंपा-कोला (Campa Cola) लॉन्च किया और विदेशी चुनौतियों के अभाव में बाजार पर हावी हो गया।
कोका कोला का यह फार्मूला एक मेटल बॉक्स में बंद है। ये मेटल बॉक्स अमेरिकी राज्य जॉर्जिया की राजधानी अटलांटा के एक म्यूजियम की सीक्रेट वॉल्ट ‘वर्ल्ड ऑफ कोका कोला म्यूजिम (World of Coca-Cola Museum)’ में लॉक है।
जब तक कोका-कोला का स्वाद लोगों की जुबान से छूटता है, उसकी जगह केम्पा कोला ने ली। इसकी टैगलाइन ‘द ग्रेट इंडियन टेस्ट (The Great Indian Taste)’ ने उस समय हर किसी की जुबान पकड़ी थी और यह भी कहा जाता है कि केम्पा कोला ने सलमान खान को अपना पहला विज्ञापन ब्रेक दिया था। कैंपा-कोला जल्द ही बच्चों और किशोरों के बीच लोकप्रिय हो गया।
अब कोला इंडस्ट्री में दो प्रमुख प्रतिस्पर्धी कैंपा-कोला और थम्स अप थे। कैंपा कोला अपने प्रोडक्ट की कीमत कम करके प्राइस वॉर में लगा था, लेकिन थम्स अप ने एक अलग रणनीति का उपयोग करते हुए कीमत कम करने के बजाय बोतल का आकार 200 ml से बढ़ाकर 250 ml कर दिया और इसे ‘महा कोला (Maha Cola)’ के रूप में बाजार में उतारा। इसका परिणाम यह हुआ कि थम्स अप मार्केट लीडर बन गया।
कैम्पा कोला को भी थम्स अप से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। लोगों को थम्स अप का स्वाद ज्यादा पसंद आने लगा, जिसकी वजह से कोका-कोला के वर्चस्व वाले बाजार में कैंपा-कोला की बिक्री घटने लगी।
केम्पा कोला का कारोबार आगे बढ़ रहा था, लेकिन 1990 के दशक के अंत में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा इंडियन इकॉनमी को उदार (Liberalisation) बनाने के लिए सुधारों को पेश किया, तो कोका-कोला ने देश में फिर से प्रवेश किया और यही से इस देसी ब्रांड के बुरे दिन शुरू हो गए।
कैम्पा कोला और पार्ले का गोल्ड स्पॉट, लिम्का और थम्स अप जैसे ब्रांड बहुत लोकप्रिय थे। 1993 में Coca-Cola की एंट्री के बाद से इन कंपनियों का बुरा दौर शुरू हो गया। कार्बोनेटेड प्रोडक्ट के बिजनेस में बॉटलर्स, प्रोडक्ट की बड़ी स्ट्रेंथ होते हैं। यहीं स्ट्रेंथ कोला बिजनेस की एक बड़ी समस्या बन गयी।
कैम्पा कोला का बाजार में एक छोटा सा हिस्सा था और अधिकांश बॉटलर्स पारले उत्पादों को बेचते थे क्योंकि, पारले के फ्रेंचाइजी मालिक बॉटलिंग प्लांट के भी मालिक थे।
पारले के पास 60 बॉटलर्स में से केवल 4 की ओनरशिप थी। मुट्ठी भर बॉटलर्स बचे होने के कारण पारले जैसी कंपनियों के पास बोतलों की कमी हो गई। आखिरकार, सितंबर 1993 में, पारले को अपने सभी सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कोका-कोला को बेचने पड़े। कैंपा कोला की बाजार हिस्सेदारी में भी भारी गिरावट आई और उसे भी कारोबार बंद करना पड़ा।
भारत जैसे प्राइस सेंसेटिव मार्केट में पेप्सी और कोका-कोला को मात देने के लिए, रिलायंस ने कैंपा-कोला को लेकर प्राइस वॉर की रणनीति अपनाई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ‘कैम्पा कोला’ जैसे विरासत ब्रांडों की कीमत 200 मिलीलीटर के लिए 10 रुपये और 500 मिलीलीटर के लिए 20 रुपये रखी है। यह दूसरे ब्रांड्स के मुकाबले काफी सस्ता है।
इतना ही नहीं, रिलायंस के पास देशभर में 17,225 रिटेल स्टोर्स का नेटवर्क है। जबकि 3 लाख से ज्यादा किराना स्टोर Jio Mart से जुड़े हैं, जो इसके डिलीवरी पार्टनर के तौर पर भी काम करते हैं।
नॉर्थ 2 साउथ कैंपा कोला का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़े इसलिए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आईपीएल की 3 टीमों के साथ पार्टनरशिप की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैंपा कोला जल्द ही ‘द लखनऊ सुपर जाइंट्स’, पंजाब किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद का बेवरेज पार्टनर होगा। इसके लिए रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने तीनों टीमों के साथ करार किया है।
ऐसे में कंपनी कोका-कोला और पेप्सी की पुरानी रणनीति पर काम कर रही है, जिसने स्पोर्ट्स इवेंट्स के जरिए अपने ब्रांड को मजबूत किया। वहीं, कंपनी कैंपा कोला की विजिबिलिटी बढ़ाने पर फोकस कर रही है, क्योंकि अब तक कैंपा कोला ज्यादातर रिलायंस ग्रुप के रिटेल स्टोर्स में ही उपलब्ध है।
उड़ान प्लेटफॉर्म पर कैंपा के तीन फ्लेवर उपलब्ध होंगे। जिसमें 200 एमएल, 500 एमएल और 2,000 एमएल शामिल हैं। खुदरा विक्रेताओं के बीच कैम्पा जागरूकता बढ़ाने के लिए उड़ान एक विशेष अभियान भी शुरू करेगा। इसके साथ ही उड़ान कोल्ड ड्रिंक्स के विस्तार और ग्राहक आधार पर भी काम कर रही है। उड़ान ने हाल ही में प्रोजेक्ट एक्सटेंशन नामक एक ग्रामीण कार्यक्रम शुरू किया है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य FMCG और खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के माध्यम से उड़ान ऐसे गांवों के बाजार में काम कर रही है जिनकी आबादी 3000 है। कंपनी का लक्ष्य अगले 10-12 महीनों में 10,000 से अधिक कस्बों और गांवों तक अपनी पहुंच बढ़ाने का है।
अगस्त 2022 में, भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने इस 50 वर्षीय सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कैंपा कोला को इसके निर्माता प्योर ड्रिंक्स से 22 करोड़ रुपये में खरीदा।
प्योर ड्रिंक्स ने कैंपा कोला को पुनर्जीवित करने के लिए कई बार कोशिश की, लेकिन 2019 में अपने आखिरी प्रयास में विफल रही। यह अमेरिकी सॉफ्ट ड्रिंक दिग्गजों को लेने के लिए वित्तीय ताकत की कमी के कारण था। हालांकि, अकेले वित्तीय मजबूती ब्रांड पुनरुद्धार की गारंटी नहीं दे सकती है। यहां तक कि स्थापित खिलाड़ी भी किसी ब्रांड को पुनर्जीवित करने में विफल हो सकते हैं।
भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने प्योर ड्रिंक्स से 22 करोड़ रुपये में सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कैंपा कोला को खरीदा।