नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कहानी | Story of Netaji Subhash Chandra Bose Hindi

Netaji Subhash Chandra Bose Biography in Hindi

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‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) जी’ जिन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की, आइये इस लेख में आज हम जानते है, ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी के जीवन की कुछ प्रेरक बातें और उनके अनमोल विचार।

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ ये वक्तव्य आज भी सभी के दिलों में जोश भरने का काम करता है। भारत को आजादी दिलाने में कई शूरवीरों का बहुत बड़ा योगदान है। उनमें से एक ऐसा शूरवीर भी है, जिनके विचार आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उस भारत माँ के लाल का नाम है, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’

Netaji Subhash Chandra Bose Biography Hindi | नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीवन परिचय

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों का मुकाबला करने के लिए अपनी सेना बनाई थी। जिसका नाम था आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj)। आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में भी मनाई जाती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में जो भी कहा जाए वह कम ही होगा। आइए इस लेख में जानते हैं, उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

नाम (Name)सुभाष चंद्र बोस
जन्म तिथि23 जनवरी 1897
जन्म स्थानकटक, उड़ीसा डिवीजन, बंगाल प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान कटक जिला, ओडिशा राज्य, भारत)
मृत्यु (Death)18 अगस्त 1945 (आयु 48)
मृत्यु स्थानआर्मी हॉस्पिटल नानमोन ब्रांच, ताइहोकू, जापानी ताइवान (वर्तमान में ताइपे सिटी हॉस्पिटल हेपिंग फुयू ब्रांच, ताइपे, ताइवान)
मृत्यु का कारणएयरक्रैश से थर्ड-डिग्री बर्न्स
नागरिकताब्रिटिश राज
राष्ट्रीयताब्रिटिश भारतीय
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,
अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक
जीवनसाथीएमिली शेंकल
बच्चेअनीता बोस (Anita Bose Pfaff)
माता-पिताजानकीनाथ बोस (पिता),
प्रभावती दत्त (मां)
शिक्षाबैपटिस्ट मिशन प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल, कटक, 1902-09,
रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल, कटक, 1909-12,
प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता, 1912-15 फरवरी 1916,
स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कलकत्ता, 20 जुलाई 1917-1919,
फिट्ज़विलियम हॉल, गैर-कॉलेजिएट छात्र बोर्ड, कैम्ब्रिज, 1919-21,
अल्मा मेटरकलकत्ता विश्वविद्यालय (बीए, दर्शनशास्त्र, 1919),
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (बीए मानसिक और नैतिक विज्ञान ट्रिपोस, 1921
के लिए जाना जाता हैभारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

Netaji Subhash Chandra Bose Early Life | नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रारंभिक जीवन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को, उड़ीसा के कटक में एक बंगाली परिवार में हुआ। वह अपने माता-पिता की 9वीं संतान थे। नेताजी को बचपन से ही पढ़ाई में बहुत दिलचस्पी थी, वे बहुत मेहनती थे और शिक्षकों के प्रिय थे। Netaji Subhash Chandra Bose की खेल में कभी रुचि नहीं रही।उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कटक से ही पूरी की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई करने के लिए कलकत्ता चले गए, वो एक होनहार छात्र थे।

वह स्कूल और विश्वविद्यालय दोनों में हमेशा टॉप रैंक करते थे। 1918 में उन्होंने फिलॉसॉपी (philosophy) में प्रथम श्रेणी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1920 में, उन्होंने इंग्लैंड में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की, हालाँकि कुछ दिनों बाद, 23 अप्रैल 1921 को, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया। इस कॉलेज में Netaji Subhash Chandra Bose एक अंग्रेजी प्रोफेसर द्वारा भारतीयों के उत्पीड़न का विरोध करते थे, उस समय जातिवाद का मुद्दा भी काफी उठाया जाता था। यह पहली बार था जब नेताजी के मन में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध शुरू हुआ था।

Azad Hind Fauj | आजाद हिंद फौज

Netaji Subhash Chandra Bose Azad Hind Fauj
Netaji Subhash Chandra Bose Azad Hind Fauj

1920 और 1930 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गिनती भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के युवा और क्रांतिकारी नेताओं में की जाती थी। बाद में वे 1938 और 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1921 से 1941 के दौरान पूर्ण स्वराज के लिए वे कई बार जेल गए। उनका मानना ​​था कि अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की जा सकती। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग लेने के लिए सोवियत संघ, नाजी जर्मनी और जापान जैसे देशों की यात्रा की। इसके बाद उन्होंने जापान में आजाद हिंद फौज की स्थापना की।

आजादी की जंग आजाद हिंद फौज के साथ छेड़ी

Netaji Subhash Chandra Bose ने आजाद हिंद फौज नामक पहले भारतीय सशस्त्र बल की स्थापना की। इस फ़ौज में पहले वे लोग शामिल किय्र गए, जिन्हें जापान ने बंदी बना लिया था। बाद में, बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवकों को भी इस फ़ौज में भर्ती किया गया। इसके अलावा, देश से बाहर रहने वाले लोग भी इस सेना में शामिल हुए।

Netaji Subhash Chandra Bose ने जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो स्टेशन की शुरुआत की और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि ‘भगवद गीता’ उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

अपने उद्घोषणा से भारतीयों के दिलों में आजादी की ज्वाला जलाई

12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में Netaji Subhash Chandra Bose ने शहीद यतींद्र दास के स्मृति दिवस पर बहुत ही मार्मिक भाषण दिया और कहा, “अब हमारी आजादी निश्चित है, लेकिन आजादी बलिदान मांगती है।” तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’ यह वह वाक्य था जिसने देश के युवाओं में प्राण फूंक दिए, जो न केवल भारत में बल्कि विश्व के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित है।

Subhash Chandra Bose death | विमान दुर्घटना में हुई मृत्यु

16 अगस्त 1945 को, Netaji Subhash Chandra Bose का विमान टोक्यो जाते समय ताइहोकू हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और स्वतंत्र भारत की अमरता की घोषणा करने वाला भारत माता का दुलारा सदा के लिए, राष्ट्रप्रेम की दिव्य ज्योति जलाकर अमर हो गया। Netaji Subhash Chandra Bose के विचार और कार्य आज भी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा (Inspiration) हैं।

Netaji Subhash Chandra Bose Quotes | नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी से जुड़े अनमोल विचार

  • ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
  • आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके।
  • मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हम में से कौन-कौन जीवित बचेंगे। परन्तु में यह जानता हूँ, अंत में विजय हमारी ही होगी।
  • राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है।
  • मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है।
  • मुझमें जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी, परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही।
  • जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।
  • हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं।
  • अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
  • मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता। संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा।
  • असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं।
  • सुबह से पहले अँधेरी घड़ी अवश्य आती है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो, क्योंकि स्वतंत्रता निकट है।
  • समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती, चाहे वह किसी वृक्ष की हो या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है।
  • निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है।
  • माँ का प्यार सबसे गहरा होता है जो की बिना किसी स्वार्थ के होता है जिसे मापा नही जा सकता।
  • हमारे देश की गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, बीमारी जैसे अनेक समस्याओ का अंत समाजवादी तरीके से ही किया जा सकता है।

Netaji Subhash Chandra Bose Movie | नेताजी सुभाष चंद्र बोस फिल्म

  • ‘नेताजी सुभाष’, बोस के बारे में एक फीचर डॉक्यूमेंट्री फिल्म 1947 में रिलीज़ हुई थी, इसे छोटूभाई देसाई ने निर्देशित किया था।
  • ‘सुभाष चंद्रा’ 1966 की भारतीय बंगाली भाषा की जीवनी पर आधारित फिल्म है, जिसका निर्देशन पीयूष बसु ने किया है
  • ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’ हेमेन गुप्ता द्वारा बोस के बारे में 1966 की भारतीय जीवनी पर आधारित ड्रामा फिल्म है।
  • 2004 में, श्याम बेनेगल ने जीवनी फिल्म, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो’ का निर्देशन किया, जिसमें नाजी जर्मनी (1941-1943), जापानी कब्जे वाले एशिया (1943-1945) में उनके जीवन और आजाद हिंद फौज के गठन की घटनाओं को दर्शाया गया था। फिल्म को बीएफआई लंदन फिल्म फेस्टिवल में आलोचकों की प्रशंसा मिली, और राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और उस वर्ष के लिए सर्वश्रेष्ठ उत्पादन डिजाइन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
  • ‘महानायक’, 2005 ने मराठी लेखक विश्वास पाटिल द्वारा लिखित सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर मराठी ऐतिहासिक उपन्यास प्रकाशित किया।
  • सुगाता बोस द्वारा लिखित सुभाष चंद्र बोस की जीवनी ‘हिज मैजेस्टीज ऑपोनेंट(His Majesty’s Opponent)’, 2011 में प्रकाशित हुई।
  • ‘सुभाष चंद्र बोस: द मिस्ट्री’, इकबाल मल्होत्रा ​​​​की 2016 की एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म, बोस की मौत के बारे में साजिश के सिद्धांतों का अनुसरण करती है।
  • ‘नेताजी बोस – द लॉस्ट ट्रेजर’ 2017 की एक टेलीविजन डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, जो हिस्ट्री टीवी18 पर प्रसारित हुई, यह आईएनए खजाना विवाद की पड़ताल करती है।
  • 2017 में, ऑल्ट बालाजी और बिग सिनर्जी मीडिया ने एक 9-एपिसोड की वेब श्रृंखला, ‘बोस: डेड/अलाइव’, एकता कपूर द्वारा निर्मित, अनुज धर द्वारा लिखित इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप पुस्तक का एक नाटकीय संस्करण जारी किया, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव ने सुभाष चंद्र बोस और अन्ना एडोर ने एमिली शेंकल के रूप में और के रूप मे अभिनय किया था। इस श्रृंखला की दर्शकों और आलोचकों दोनों द्वारा इसकी साजिश, प्रदर्शन और उत्पादन डिजाइन के लिए प्रशंसा की गई थी।
  • जनवरी 2019 में ज़ी बांग्ला ने दैनिक टेलीविजन श्रृंखला ‘नेताजी’ का प्रसारण शुरू किया।
  • ‘गुमनामी’ श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित 2019 की एक भारतीय बंगाली रहस्य फिल्म है, जो मुखर्जी आयोग की सुनवाई पर आधारित नेताजी की मृत्यु के रहस्य से संबंधित है।
Netaji Subhash Chandra Bose Unseen pictures
Netaji Subhash Chandra Bose_Unseen pictures

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम क्या है?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी कौन है?

अनीता बोस (Anita Bose Pfaff)

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कैसे हुई?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई। 16 अगस्त 1945 को, नेताजी का विमान टोक्यो जाते समय ताइहोकू हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय कहाँ स्थित है?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय लाल किला, दिल्ली में स्थित है। इस संग्रहालय का उद्घाटन पीएम मोदी जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 122वीं जयंती पर किया था।

Deepak Devrukhkar
Deepak Devrukhkar

मेरा नाम दिपक देवरुखकर हैं, और मैं मुंबई, महाराष्ट्र में रहता हूँ। मैंने Commercial Art में डिप्लोमा किया है। मैं GK, भारतीय इतिहास आदि विषयों पर ज्ञान प्रयास के लिए लिखता हूँ।

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