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छह लेन का ट्रांस-हार्बर पुल अटल सेतु 21.8 किमी लंबा है और 16.5 किमी का समुद्री लिंक है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 12,700 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला रखते हुए कहा कि
“अटल सेतु भारत की बुनियादी ढांचागत क्षमता को दर्शाता है और परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूत करके नागरिक गतिशीलता में सुधार करने की सरकार की दृष्टि है।”
मुंबई ट्रांसहार्बर लिंक (MTHL) का नाम अब ‘अटल बिहारी वाजपेयी सेवरी-न्हावा शेवा अटल सेतु’ रखा गया है। पीएम मोदी ने दिसंबर 2016 में इस पुल की आधारशिला रखी थी और 12 जनवरी 2024 को उन्होंने इसका उद्घाटन कर दिया।
अटल सेतु का निर्माण 17,840 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है। यह पुल लगभग 21.8 किमी लंबा और 6-लेन है, समुद्र के ऊपर 16.5 किमी लंबा और लगभग 5.5 किमी जमीन पर बनाया गया है। Atal Setu Bridge देश का सबसे लंबा पुल है।
यह विचार पहली बार 1962 में ‘मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए सड़क प्रणाली की योजना’ नाम से रखा गया था। परियोजना के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट 34 वर्षों के बाद 1994 में शुरू हुई। जबकि 2006 में निविदाएं बुलाई गईं, प्रधान मंत्री मोदी ने 10 साल बाद 2016 में पुल की आधारशिला रखी और परियोजना का काम अंततः अप्रैल 2018 में शुरू हुआ।
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल), या Atal Setu Bridge का उद्घाटन करने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके निर्माण में सहयोग के लिए जापानी सरकार को धन्यवाद दिया, साथ ही अपने प्रिय मित्र पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे को याद किया और इस परियोजना की कल्पना करने के लिए उन्हें श्रेय देते हुए कहा,
“आज मैं अपने प्रिय मित्र, दिवंगत शिंजो आबे को याद करना चाहता हूं। हम दोनों ने मुंबई-ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना को पूरा करने की कसम खाई थी।”
Atal Setu Bridge की कहानी 1990 के दशक से शुरू होती है। यह विचार भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे खाड़ी और मुख्य भूमि के बीच एक पुल बनाने का था।
यह विचार पहली बार 1963 में एक अमेरिकी कंसल्टेंसी फर्म विल्बर स्मिथ एसोसिएट्स (Wilbur Smith Associates) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। लेकिन किन्हीं कारणों से काम नहीं हो सका और पुल के काम में देरी हो गई। फिर 1990 का दशक आया और सरकार की नजर फिर इस पर पड़ी और 2006 में इसके लिए टेंडर निकाले गए।
अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) ने 2008 में इसके लिए बोली लगाई और जीत हासिल की। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (Public Private Partnership) यानी PPP के तहत रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 9 साल 11 महीने में पुल बनाना था। उस समय इसकी कीमत 6000 करोड़ रुपये थी.
2008 में ये कॉन्ट्रैक्ट अनिल अंबानी को दिया गया लेकिन अंबानी की कंपनी कुछ महीनों बाद ही इस प्रोजेक्ट से पीछे हट गई। इसके बाद कई बार टेंडर निकले और बोली भी लगी, लेकिन प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सका। फिर इसे बनाने वाली नोडल एजेंसी बदल दी गई और इसकी जिम्मेदारी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) को मिल गई।
यहीं से काम को कुछ गति मिलनी शुरू हुई। MMRDA ने इसके लिए जापानी एजेंसी ‘जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA)’ के साथ एक समझौता किया। इस समझौते के तहत, JICA पूरी परियोजना लागत का 80 प्रतिशत वित्तपोषण करने पर सहमत हुआ। इसके अलावा बाकी खर्च केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर उठाना था।
संपूर्ण अनुबंध और निविदा प्रक्रिया दिसंबर 2017 में पूरी हुई और 2018 की शुरुआत में काम शुरू हुआ। परियोजना की कुल लागत 21200 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 15100 करोड़ रुपये JICA से ऋण है और बाकी खर्च केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर किया है।
हजारों करोड़ रुपये की लागत से बना Atal Setu Bridge मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ेगा। यह पुल बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत के विकास का एक नया उदाहरण होने के साथ-साथ देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के लिए एक नई जीवन रेखा होगी। एक अनुमान के मुताबिक इस पुल से हर रोज करीब 70 हजार लोग सफर करेंगे। यहां ट्रैफिक दबाव की जानकारी इकट्ठा करने के लिए AI आधारित सेंसर के अलावा 400 कैमरे लगाए गए हैं।
मुंबई पुलिस ने कहा कि अटल सेतु ब्रिज पर कार, टैक्सी, हल्के मोटर वाहन, मिनीबस और टू-एक्सल बसों सहित चार पहिया वाहनों के लिए गति सीमा 100 किमी प्रति घंटे होगी और पुल पर चढ़ते और उतरते समय 40 किमी प्रति घंटे तक सीमित रहेगी। हालाँकि, इस पुल पर मोटर बाइक, ऑटो रिक्शा, ट्रैक्टर को अनुमति नहीं दी जाएगी।
अटल सेतु पर यात्रा करने वाले लोगों के लिए तय किए गए टोल टैक्स के मुताबिक, पैसेंजर कार की एक यात्रा के लिए 250 रुपये का टोल वसूला जाएगा। वहीं, अगर आप वापस आएंगे तो आपको कुल 375 रुपये टोल चुकाना होगा। दैनिक यात्रियों के लिए दैनिक और मासिक पास का भी विकल्प है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कार से यात्रा करने वालों के लिए दैनिक पास की कीमत 625 रुपये और मासिक पास की कीमत 12,500 रुपये होगी। अगर आप 12,500 रुपये प्रति माह का पास निकालते हैं तो यह 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष हो जाता है। यदि आपको एक साल के पास के लिए कुछ छूट भी मिलती है, तो भी यह बहुत बड़ी रकम है।