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Microsoft की नौकरी छोड़ करने लगे चश्मा बेचने का काम, अब है अरबों डॉलर की कंपनी के मालिक, जानिए Lenskart के CEO पीयूष बंसल की प्रेरक कहानी |
केवल वे ही सफल होते हैं जो जोखिम लेने से नहीं डरते, और जो जोखिम उठाते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं, वे ही इतिहास बनाते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लेंसकार्ट के संस्थापक पीयूष बंसल हैं।
उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ने का जोखिम उठाया और आज उनकी कंपनी लेंसकार्ट चश्मा निर्माताओं के बीच एक बड़ा नाम बन गई है। आज वह इस बिजनेस आइडिया से करोड़ों कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, पीयूष ने शार्क टैंक इंडिया में जज के तौर पर भी काफी प्रसिद्धि हासिल की है।
2010 में स्थापित इस कंपनी की कीमत आज अरबों में है। पीयूष ने अपने मिशन और विजन से कंपनी को इतनी सफलता दिलाई है। लेकिन पीयूष के लिए यह सफर इतना आसान नहीं था, तो आइए जानें Lenskart CEO Peyush Bansal के जीवन की प्रेरणादायक यात्रा के बारे में।
26 अप्रैल 1985 को दिल्ली के एक साधारण परिवार में जन्मे पीयूष हमेशा कुछ अलग करना चाहते थे। आईआईएम बैंगलोर से स्नातक करने के बाद उनके मन में कई आइडियाज थे, लेकिन नौकरी के साथ वह उन पर काम नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय से अंग्रेजी ऑनर्स में अपनी डिग्री पूरी की।
पीयूष को कनाडा में पार्ट टाइम जॉब की जरूरत थी। उन्हें रिसेप्शनिस्ट का जॉब मिल गया। वहां एक कंप्यूटर लैब थी जहां पीयूष पार्ट टाइम जॉब कर रहे थे। पीयूष का एक सीनियर उस लैब में कोडिंग का काम करता था। पीयूष कोडिंग में रुचि लेने लगे। उन्होंने यह बात अपने सीनियर को बताई। सीनियर ने उसे कोडिंग से संबंधित एक किताब दी।
पीयूष दिन में कॉलेज और रिसेप्शनिस्ट का काम करते थे और रात में कोडिंग सीखते थे। धीरे-धीरे उन्होंने सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग भी सीख ली और अपने सीनियर के लिए कुछ सॉफ्टवेयर डिजाइन किये। इसके बाद पीयूष को रिसेप्शन से निकाल दिया गया और उसी कंपनी में कोडिंग की नौकरी मिल गई।
कॉलेज के दूसरे वर्ष के दौरान पीयूष ने माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्नशिप के लिए आवेदन किया। उनका एप्लिकेशन सिलेक्ट भी हो गया, लेकिन वे इंटरव्यू में सिलेक्ट नहीं हुए। पीयूष ने हार नहीं मानी और एक साल तक इंटरव्यू की तैयारी की। दूसरे प्रयास में उनका सिलेक्शन हुआ। तीन महीने की इंटर्नशिप पीयूष के लिए एक सपने की तरह थी।
पीयूष को लगा कि उन्हें यहाँ परमानेंट जॉब करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की और 2007 में कॉलेज खत्म करने के तुरंत बाद उन्हें माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी मिल गई, लेकिन एक साल बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया। उन्हें लगा कि वह सिर्फ प्रोडक्ट में इम्प्रूवमेंट कर रहे हैं।
अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, पीयूष ने 2007 में रेडमंड, वाशिंगटन में माइक्रोसॉफ्ट के लिए प्रोग्रामर के रूप में काम किया। अच्छी सैलरी के बावजूद पीयूष कुछ अलग करना चाहते थे। 2008 में पीयूष ने फैसला किया कि अब वह अपने देश लौटेंगे और अपना सपना पूरा करेंगे। माइक्रोसॉफ्ट में एक साल से भी कम समय तक काम करने के बाद Peyush Bansal ने अपनी नौकरी छोड़ दी। उनके इस फैसले से उनके परिवार और दोस्त हैरान रह गए, काफी समझाने के बाद भी वह नहीं माने और भारत लौट आए।
अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ने के बाद पीयूष दिल्ली आ गए। उन्होंने मन में ठान रखा था कि कुछ अपना और बड़ा करना है। वह जानते थे कि दिल्ली आने वाले युवाओं के लिए किराये पर मकान लेने में कितनी परेशानी होती है। काम शुरू करने से पहले उन्हें मार्केट रिसर्च की आवश्यकता थी। पीयूष ने सर्च माई कैंपस नाम से एक क्लासिफाइड वेबसाइट शुरू की।
यहां छात्रों को किताबें, पार्ट टाइम जॉब और कारपूल जैसी चीजें ढूंढने में मदद की जाती थी। उन्होंने इस परियोजना पर काम किया। इसके माध्यम से उन्होंने भारतीय उपभोक्ताओं के व्यवहार और जरूरतों को समझा।
पीयूष ने अपने मित्र अमित चौधरी से बातों ही बातों में एक ब्लाइंड कैपिटल का जिक्र हुआ। पीयूष को अपने कनाडाई दोस्त याद आये जो उससे यही बात पूछते थे। पीयूष ने इस विषय पर रिसर्च किया और पाया कि भारत को दुनिया का ब्लाइंड कैपिटल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां की आधी आबादी को चश्मे की जरूरत है, लेकिन उनमें से केवल 25 प्रतिशत ही चश्मा पहनते हैं।
अमित और पीयूष ने इस दिशा में काम करने का फैसला किया। उन्होंने एक ऐसी कंपनी बनाने की योजना बनाई जो भारत में लोगों की चश्मा न पहनने की आदत को बदल सके।
उन्हें लिंक्डइन पर एक अन्य सह-संस्थापक सुमित कपाही भी मिले। उन्होंने कुछ महीने पहले ही एक आईवियर कंपनी की अपनी नौकरी छोड़ दी थी। तीनों ने मिलकर 2010 में वैल्यू टेक्नोलॉजी की स्थापना की, जिसकी विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइटें थीं। इसमें लेंसकार्ट, ज्यूलकार्ट, बैगकार्ट और वॉचकार्ट वेबसाइट्स थीं। कुछ समय बाद, आईवियर बाजार में संभावनाएं देखते हुए, तीनों ने पूरी तरह से लेंसकार्ट पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया।
Peyush Bansal ने आईवियर पर पूरा फोकस करते हुए देश के बड़े-छोटे शहरों में आउटलेट खोलना शुरू किया, जहां हर रेंज के चश्मों के साथ-साथ आंखों की जांच की सुविधा भी दी जाने लगी। उन्होंने इन चश्मों को ऑनलाइन बाजार में भी बेचना शुरू कर दिया। पीयूष की इस यूनीक कॉन्सेप्ट को देखकर उन्हें कई निवेशक मिल गए। जिसमें केकेआर, सॉफ्टबैंक विजन फंड, प्रेमजी इन्वेस्ट और आईएफसी शामिल हैं।
धीरे-धीरे उनकी कंपनी सफलता की ओर बढ़ने लगी। नवंबर 2010 में, उन्होंने अमित चौधरी और सुमित कपाही के साथ मिलकर ओमनीचैनल आईवियर रिटेलर लेंसकार्ट की सह-स्थापना की। 2019 में, लेंसकार्ट 1.5 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन के साथ यूनिकॉर्न बन गई।
Lenskart CEO Peyush Bansal ने देश में चश्मा बेचने के लिए एक योजना शुरू की, जिसका नाम ‘नो क्वेश्चन आस्क्ड रिटर्न पॉलिसी’ रखा गया। यह एक ऐसी पॉलिसी थी जिसके तहत यदि किसी ग्राहक को चश्मा पसंद नहीं आता तो वह उसे 14 दिनों के भीतर वापस कर सकता था, और उसे कोई प्रश्न नहीं पूछा जाता था।
इतना ही नहीं, उन्होंने चश्मों के लिए एक अलग कॉल सेंटर भी बनाया, जहां ग्राहक अपने सवाल पूछ सकते थे। इस नीति के कारण ग्राहक तेजी से जुड़ने लगे और जब उनका अनुभव अच्छा रहा तो माउथ पब्लिसिटी से ग्राहकों की संख्या में वृद्धि हुई। कंपनी के देश और विदेश में 7 मिलियन से ज्यादा ग्राहक जुड़े।
लेंसकार्ट की स्थापना के बाद से, Peyush Bansal ने नई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया है। मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में रोबोट की मदद से चश्मा बनाना शुरू कर दिया। सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए AI का उपयोग करने से रियल टाइम पर स्टॉक और सप्लाई की जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
प्रत्येक स्टोर में टैंगो AI वीडियो एनालिसिस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। सीसीटीवी की मदद से यह सॉफ्टवेयर स्टोर में ग्राहकों की संख्या, आगंतुकों की संख्या और अन्य चीजों के आधार पर जानकारी का विश्लेषण करता है। जिसके कारण स्टोर में आवश्यकतानुसार सुधार किये जाते हैं।
आईवियर कंपनी लेंसकार्ट इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO लाने की योजना बना रही है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी 10 बिलियन डॉलर (लगभग 86,835 करोड़ रुपये) के वैल्यूएशन पर 1 बिलियन डॉलर (वर्तमान मूल्य – लगभग 8,684 करोड़ रुपये) जुटाएगी। IPO के लिए लेंसकार्ट इस साल मई में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) यानी ड्राफ्ट- पेपर्स फाइल कर सकती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, लेंसकार्ट के सीईओ Peyush Bansal, निवेशकों और आईपीओ बैंकर्स ने हाल ही में 1 बिलियन डॉलर के आईपीओ पर चर्चा की।
लेंसकार्ट के संस्थापक होने के अलावा, Peyush Bansal ने लोकप्रिय रियलिटी टीवी शो शार्क टैंक इंडिया में जज के रूप में भी भाग लिया। जिससे उन्हें विशेष पहचान मिली। पीयूष बंसल हमेशा कहते हैं कि वे जोखिम लेने से नहीं डरते और निर्णय लेने में देरी नहीं करते। यही कारण है कि अवसर उनके हाथ से निकलते नहीं है। उनका मानना है कि यदि टीम मेंबर्स के बीच जिम्मेदारियां बांटी जाएं और समय पर उन्हें अप्रिशिएट किया जाए तो टीम की प्रोडिक्टिविटी बढ़ जाती है।
देश के महानगरों के साथ-साथ मध्यम और छोटे शहरों तक पहुंच बनाने के बाद, लेंसकार्ट अब अपनी टीम का विस्तार सिंगापुर, पश्चिम एशिया और अमेरिका तक कर रहा है। Lenskart CEO Peyush Bansal ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से सफलता की नई कहानी लिखी है। आज वह लाखों लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।