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दुश्मन भी करते थे जिनका सम्मान, शौर्य थी उनकी पहचान, रणनीति में थे माहिर, जानिए देश के पहले ‘CDS General Bipin Rawat जी’ के जीवन की गौरव गाथा।
“अगर असली हीरो का जिक्र होता है तो जुबान पर नाम देश के वीरों का ही होता है।”
वीर कभी नहीं मरते, वे अमर होते हैं। उनकी वीरता के किस्से सदियों से याद किए जाते हैं। देश के पहले ‘CDS Bipin Rawat (सीडीएस बिपिन रावत) जी’ जिन्होंने अपने पराक्रम और साहस से भारतीय सेना में नई ऊर्जा का संचार किया था ऐसे भारत माँ के सपूत आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी वीरता के किस्से आज भी हमारे बीच मौजूद हैं।
8 दिसंबर 2021 को भारतीय वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के नीलगिरि जिले में कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) जी, उनकी पत्नी और 13 अन्य वीरों की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे में अमर हुए सीडीएस बिपिन रावत ने अपने जीवन काल में पूरी निष्ठा के साथ भारतीय सेना की सेवा की है।
नाम (Name) | बिपिन रावत |
जन्म की तारीख | 16 मार्च 1958 |
उम्र (Age) | 61 वर्ष (मृत्यु के समय) |
जन्म स्थान | पौड़ी, उत्तराखंड |
मृत्यु (Death) | 8 दिसंबर 2021 |
मृत्यु का कारण | हेलीकाप्टर दुर्घटना |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
आर्मी ज्वाइन कब की | 16 दिसंबर 1978 |
पहली जोइनिंग | गोरखा बटालियन 5 |
पिताजी का नाम | लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी का नाम | मधुलिका रावत |
देश को साल 2020 में अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत जी के रूप में मिला। परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित CDS General Bipin Rawat जी का संपूर्ण जीवन ही प्रेरणादायक रहा है।
आइए इस लेख में आज हम जानते हैं सेना में शामिल होने से लेकर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने तक के श्री General Bipin Rawat जी के जीवन की अविस्मरणीय कहानी।
CDS Bipin Rawat जी का जन्म 16 मार्च, 1959 को उत्तराखंड के पौड़ी में एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनके घर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का रास्ता पहाड़ों से होकर गुजरता है, जिसे पैदल ही तय करना पड़ता है। दशकों पहले ही CDS बिपिन रावत जी का परिवार देहरादून में शिफ्ट हो गया था, लेकिन अपने पैतृक गांव सैंण से बेहद लगाव के कारण वो हमेशा वहां आते थे।
बिपिन रावत जी अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के ‘फौजी’ हैं। उनके पिता, लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत जी भारतीय सेना के उप प्रमुख रह चुके हैं। यह संयोग ही है कि पिता और पुत्र दोनों को 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में नियुक्त किया गया था। वो अपने पिताजी से प्रेरित होकर ही सेना में भर्ती हो गए थे।
CDS Bipin Rawat जी की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून से हुई। उन्होंने दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से की। आगे की शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और फिर शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। उसके बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़कवासला और इंडियन मिलिट्री स्कूल देहरादून आए, जहाँ उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कैडेट को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल किया।
उन्होंने स्नातक की डिग्री वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से हासिल की है। General Bipin Rawat जी ने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एम.फिल और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से मिलिट्री और मीडिया-सामरिक अध्ययन विषय पर पीएचडी भी की थी। जनरल बिपिन रावत जी का चयन मेडिकल में हो गया था, लेकिन सेना के कौशल को देखकर वे अपने दादा और पिता की तरह सेना में शामिल हो गए।
दिसंबर 1978 में CDS General Bipin Rawat जी सेना में शामिल हुए थे। 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में उन्हें कमिशन मिला था। इसके अलावा वो 5 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स और कश्मीर घाटी में 19 इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाल चुके हैं। उन्होंने एक ब्रिगेडियर के रूप में, कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के मल्टीनैशनल ब्रिगेड का नेतृत्व किया।
एक साहसी अधिकारी के रूप में कई महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाईयों का नेतृत्व करने वाले General Bipin Rawat जी ने सेना प्रमुख के रूप में कई साहसिक निर्णय लिए हैं, जो उन्हें सेना के जवानों और आम जनता के बीच एक विशेष छवि बनाते हैं। चाहे सेना में सहायक परंपरा को समाप्त करने का निर्णय हो या दिल्ली के यातायात में आम लोगों को दिल्ली कैंटोनमेंट एरिया के ग्रीन जोन से गुजरने की अनुमति देना, जनरल रावत जी के ‘साहसी’ निर्णय ने संकेत देते थे, की वो दिल जीतने में यकीन रखते हैं, विशेषाधिकारों में नहीं।
CDS Bipin Rawat जी के जीवन में कई ऐसे किस्से थे जहां उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया। जब वे सेना प्रमुख बने, तो उन्होंने सभी पूर्व जनरलों और जिन जनरलों का देहांत हो गया था उन जनरलों की पत्नियों को फोन किया और कहा कि यह मेरा फोन नंबर है और मैं आपके लिए 24 घंटे उपलब्ध हूं। पूर्व जनरल बिपिन चंद्र जोशी की पत्नी को फोन करने पर वह भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि बिपिन जी आप पहले जनरल हैं जिन्होंने हमें फोन किया है। जनरल बिपिन रावत जी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखते थे।
सेना के लिए रणनीति बनाने में CDS Bipin Rawat जी माहिर थे। मणिपुर के चंदेल में 04 जून 2015 को, एक छापामार हमले में नागा विद्रोहियों ने 6 डोगरा रेजिमेंट के 18 भारतीय सैनिकों को मार डाला। जब सेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया तो ये विद्रोही म्यांमार में जाकर छुप गए। सेना का मनोबल बढ़ाने और विद्रोहियों के बढ़ते हौसले को दबाने के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत थी।
सेना की तीसरी कोर के प्रमुख के रूप में, लेफ्टिनेंट General Bipin Rawat जी ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के सामने नागा विद्रोहियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक योजना का विस्तृत खाका रखा।
उत्तर-पूर्व में घुसपैठ को रोकने के लिए सैन्य अभियानों का एक विशाल अनुभव रखने वाले CDS Bipin Rawat जी ने इतने विस्तार से और इतनी सावधानी से स्ट्राइक की योजना बनाई थी, कि हमले के सिर्फ छह दिनों के भीतर, 10 जून, 2015 को सेना के पैरा कमांडो ने म्यांमार सीमा में प्रवेश किया और लगभग 40 मिनट में एक विशाल सफल सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर सुरक्षित वापस लौट आए।
म्यांमार की सीमा के अंदर बने आतंकवादी समूह एनएससीएन-खापलांग के आतंकी कैंप को तबाह कर दिया गया। इस कार्रवाई ने भारत के दुश्मनों को कड़ा संदेश दिया।
General Bipin Rawat जी गोरखा ब्रिगेड से सीओएएस बनने वाले चौथे अधिकारी बनने से पहले सेनाध्यक्ष बने थे। पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें म्यांमार में 2015 का सीमा पार ऑपरेशन उनके करियर का मुख्य आकर्षण था।
म्यांमार का ऑपरेशन कई मायनों में अलग था। सेना की 12वीं बिहार रेजीमेंट की वर्दी में कमांडो अपने अभियान पर निकल पड़े, ताकि उन्हें देखकर यह अंदाजा न लगाया जा सके कि वे रूटीन ऑपरेशन पर नहीं बल्कि स्पेशल ऑपरेशन पर निकले है। दुश्मनों पर अचानक हमला कर उन्हें हैरान करने की म्यांमार की सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बहुत सफल रही। इस ऑपरेशन की सफलता ने ही 2016 में उरी, जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की जमीन तैयार की।
18 सितंबर 2016 को, पाकिस्तान-प्रशिक्षित आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के उरी में नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना के एक कैंप पर आतंकवादी हमला किया। इसका जवाब देते हुए 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक की और कई आतंकियों को ढेर कर दिया।
General Bipin Rawat जी का करियर उपलब्धियों से भरा रहा। अपने चार दशकों की सेवा के दौरान जनरल रावत जी ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया था।
वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली है। अपनी सैन्य सेवा के दौरान, CDS Bipin Rawat जी को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक और सेना पदक जैसे कई सम्मानों से अलंकृत किया गया था।
उन्होंने मिशन इन द डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों के मिशन-7 (MONUC) में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभालते हुए बेहतरीन काम किया। इसके लिए उन्हें फोर्स कमांडर्स कमांडेशन भी मिला है। इतना ही नहीं वे देश के पहले CDS (Chief of Defence Staff) बने।
CDS General Bipin Rawat जी का संपूर्ण जीवन लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में देश की सेवा को सर्वोपरि रखा था। उनकी उपलब्धियां उनकी सफलता की कहानी (Success Story) बयां करती हैं।
जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ (CDS) अधिकारी थे।
जनरल बिपिन रावत जी का जन्म 16 मार्च, 1959 को उत्तराखंड के पौड़ी में एक सैन्य परिवार में हुआ था।
जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर 2019 को भारत के पहले CDS बने।
मधुलिका रावत
जनरल बिपिन रावत जी की 8 दिसंबर, 2021 को भारतीय वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
सीडीएस बिपिन रावत का मासिक वेतन रुपये में 2,50,000 रुपये था, साथ ही वह विभिन्न भत्तों और लाभों के हकदार थे।