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The Black Tiger Ravindra Kaushik Biography in Hindi (ब्लैक टाइगर रवींद्र कौशिक), Who was Ravindra Kaushik, Ravindra Kaushik Spy Activity, Marriage, Cover Blow Up, Imprisoned, Death
साल 1983 रॉ (RAW) का एक एजेंट पकिस्तान पहुंचता है, लेकिन पाकिस्तान की खुपिया एजेंसी ISI को इसका पता लग जाता है, और भनक लगने के बाद वो उस रॉ एजेंट को पकड़ लेती है। जिसके बाद उस एजेंट से पूछताछ की जाती है, उसपे जुल्म किये जाते है, उसे इतना टॉर्चर किया जाता है की आखिर वो टूट ही जाता है।
लेकिन उसके बाद पाकिस्तानी एजेंट्स को वो जो बताता है, उसे सुनने के बाद पाकिस्तानी एजेंट्स के होश उड़ जाते है। वो ये कहता है, की पाकिस्तान में एक बहुत ही ऊँची पोस्ट पर बैठा मेजर कोई पाकिस्तानी मेजर नहीं, बल्कि रॉ (RAW) का एक खुपिया एजेंट है।
कौन था ये खुपिया एजेंट? जो पकिस्तान की नाक के निचे मेजर बनके बैठा था, और पाकिस्तान की खुपिया जानकारी रॉ (RAW) को दे रहा था। उनका नाम था ब्लैक टाइगर रवींद्र कौशिक। आखिर कौन था ये रवींद्र कौशिक उर्फ द ब्लैक टाइगर? क्या है उसकी पूरी कहानी आइये जानते है।
पाकिस्तान में अपनी मृत्युशय्या पर रहते हुए रवींद्र कौशिक ने एक गुप्त मार्ग से भारत में अपनी मां को आखिरी पत्र भेजा था। उस समय भी उनके लिए यह मुश्किल नहीं था। अपनी मृत्यु से 30 साल पहले, उन्हें सीमा पार गुप्त दस्तावेज भेजने के लिए भारत में प्रशिक्षित किया गया था।
अपने परिवार को लिखे अपने एक पत्र में रवींद्र कौशिक ने लिखा, “क्या भारत जैसे बड़े देश के लिए कुर्बानी देने वालों को यही मिलता है?” अपने पत्रों में, उन्होंने पाकिस्तानी जेलों में हुए आघात और उनके खराब स्वास्थ्य के बारे में बात की। न्यू सेंट्रल मुल्तान जेल में आज भी उनके अवशेष दफन हैं।
नाम (Name) | रवींद्र कौशिक |
निक नाम | ब्लैक टाइगर |
जन्म की तारीख | 11 अप्रैल 1952 |
मृत्यु (Death) | नवंबर 2001 (उम्र 49) |
जन्म स्थान | श्रीगंगानगर, राजस्थान, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
महाविद्यालय | युनिव्हर्सिटी ऑफ कराची |
जाने जाते है | रॉ (RAW) के लिए जासूसी |
जीवनसाथी | अमानत |
रवींद्र कौशिक का जन्म 1952 में राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उन्हें बचपन से ही थिएटर से बहुत प्यार था और इसी शौक के कारण वो एक थिएटर कलाकार भी बन गए थे। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा, कि मंच पर उनकी ये नाटकीयता उन्हें राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी की नज़रों में लाएगी।
जब एकबार वो लखनऊ में थिएटर का प्रोग्राम कर रहे थे, तब भारतीय खुपिया एजेंसी रॉ (RAW) के अधिकारीयों की नजर उनपे पड़ गयी। उन अधिकारीयों को उनमे एक जासूस बनने की प्रतिभा नजर आयी। इसलिए उन्होंने Ravindra Kaushik से मिलकर उनके सामने जासूस बनकर पकिस्तान जाने का प्रस्ताव रख दिया, जिसे रवींद्र ने तुरंत स्वीकार कर लिया था।
जिसके बाद रॉ (RAW) ने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था। Black Tiger Ravindra Kaushik ने पकिस्तान जाने से पहले दिल्ली में करीब 2 साल ट्रेनिंग ली। पकिस्तान में किसी भी तरह से बचने के लिए उन्हें एक पाकिस्तानी की तरह बनाया गया।
1975 में ट्रेनिंग ख़तम होने के बाद महज 23 साल की उम्र में ही रवींद्र को पकिस्तान भेज दिया गया, और पकिस्तान में उनका नाम बदलकर नबी अहमद शाकिर कर दिया। Ravindra Kaushik गंगानगर के थे इसलिए उन्हें पंजाबी अच्छे तरह से बोलना आता था, और पकिस्तान के अधिकतर इलाके में पंजाबी ही बोली जाती है, इसलिए उन्हें पकिस्तान में ढलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आयी।
राजनिष्ठा | भारत |
एजेंसी | Research and Analysis Wing (RAW) |
सेवा वर्ष | 1975 – 1983 |
उपनाम | नबी अहमद शाकिर |
आपराधिक आरोप | जासूसी |
आपराधिक सजा | आजीवन कारावास |
अपने प्रशिक्षण के दौरान, Black Tiger Ravindra Kaushik ने एक मुस्लिम व्यक्ति की संस्कृति, विचार और व्यक्तित्व से पूरी तरह परिचित होने के लिए उर्दू सीखी और इस्लामी शास्त्रों को पढ़ा। उन्हें पाकिस्तान की स्थलाकृति (topography) भी समझाई गई, और उनका खतना भी कराया गया। इसके तुरंत बाद, भारतीय पुस्तकों में उनके रिकॉर्ड नष्ट कर करके उन्हें एक नई पहचान के साथ पाकिस्तान के मिशन पर भेज दिया गया।
Ravindra Kaushik कानून के छात्र नबी अहमद शाकिर बन गए, जिन्होंने कराची विश्वविद्यालय से एलएलबी पूरा किया और पाकिस्तान सेना में एक आयुक्त के रूप में शामिल हुए। उनकी प्रतिभा ने उन्हें सेना में मेजर बना दिया और जल्द ही उन्होंने एक लड़की अमानत से शादी कर ली।
पाकिस्तानी सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान, नबी अहमद ने 1979 से 1983 तक भारतीय रक्षा बलों को बहुमूल्य इनपुट भेजे, जो बहुत मददगार थे। उनके अच्छे काम के कारण उन्हें तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ‘द ब्लैक टाइगर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
एक ओर उनका काफी अच्छा चल रहा था, वही दूसरी ओर उनका बुरा वक्त इंतज़ार कर रहा था, और वो था 1983 का साल। एक अन्य भारतीय जासूस, इनायत मसीहा को मेजर नबी अहमद शाकिर से संपर्क करने के लिए कथित तौर पर पाकिस्तान भेजा गया था। उनके कवर को पाकिस्तानी अधिकारियों ने उड़ा दिया और उन्हें तब तक प्रताड़ित किया गया जब तक कि उन्होंने अपने मिशन के बारे में नहीं बताया।
पकड़े जाने के डर से Black Tiger Ravindra Kaushik ने वहाँ से भागने की कोशिश की, लेकिन रॉ (RAW) उनकी कोई मदद नहीं कर पायी, क्योंकि पाकिस्तानी खुपिया एजेंसी ISI रॉ (RAW) के इस प्लान के बारे में सबकुछ जान चुकी थी।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने Black Tiger Ravindra Kaushik को गिरफ्तार कर लिया और सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में उन्हें दो साल तक प्रताड़ित किया, फिर भी उन्होंने भारत की कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया। साल 1985 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। Ravindra Kaushik ने अगले 16 साल तक मियांवाली और सियालकोट जेलों में अपने दिन बिताए।
पाकिस्तानी जेलों में रहने की खराब स्थिति के कारण, उन्हें अस्थमा (asthma) और TB जैसी घातक बीमारियों ने जखड़ लिया। इन बीमारियों के कारण नवंबर 2001, सेंट्रल जेल, मियांवाली, पाकिस्तान में The Black Tiger Ravindra Kaushik की मृत्यु हो गई। उन्हें न्यू सेंट्रल जेल में ही दफनाया गया। 2002 से टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, Ravindra Kaushik के परिवार ने कहा कि उन्हें भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थी।
Black Tiger Ravindra Kaushik की कहानी कई रॉ (RAW) अधिकारियों को प्रेरित करती है, वह रक्षा क्षेत्रों में पूजनीय हैं।
दोस्तों, जासूसी पेशे के साथ दर्द ऐसा ही है, जहा एक तरफ हर वक्त उनके गर्दन पर मौत की तलवार लटकती रहती है, वही दूसरी तरफ देश की सेवा करते हुए अगर बदकिस्मती से वो दुश्मन देश में पकड़ा जाए, तो उसके देश की ये मज़बूरी होती है, की ना तो वो उसकी मदत कर सकता है और ना ही उसे स्वीकार कर सकता है। और अंत में उसकी दुश्मन देश में मौत हो जाती है और उसे अपने देश की मिटटी तक नसीब नहीं होती।
लेकिन इन्ही शहीदों की गुमनाम शहादत इस देश को बचाये हुए है और इन्ही शहीदों के दम पर हम खुली हवा में सांस ले रहे है। ये गुमनाम बलिदानी भी ये जानते है, की देश के लिए कुर्बानी देनी कितनी जरुरी है क्योंकि, ये देश है तो हम है।
ब्लैक टाइगर रवींद्र कौशिक का जन्म 1952 में राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक पंजाबी परिवार में हुआ था।
सितंबर 1983 में, रॉ ने रवींद्र कौशिक से संपर्क करने के लिए एक निम्न-स्तरीय ऑपरेटिव, इनायत मसीह को भेजा। हालांकि, मसीह को पाकिस्तान की ISI के ज्वाइंट काउंटरइंटेलिजेंस ब्यूरो ने पकड़ लिया और कौशिक का पर्दाफाश हुआ। फिर रवींद्र कौशिक को पकड़ लिया गया और उन्हें सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में दो साल तक प्रताड़ित किया गया।
कौशिक को 1985 में मौत की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। 2001 में अस्थमा (asthma) और TB जैसी घातक बीमारियों के कारण मियांवाली जेल में मृत्यु हो गई।
रवींद्र की मौत की खबर सुनने के बाद सदमे और दिल का दौरा पड़ने से उनके पिता की मौत हो गई। उनकी मां अमलादेवी का 2006 में निधन हो गया। उनके छोटे भाई, राजेश्वरनाथ कौशिक जयपुर में रहते हैं, जो रवींद्र से दो साल छोटे हैं। रवीन्द्र कौशिक के भतीजे विक्रम वशिष्ठ भी जयपुर में रहते हैं।
रवींद्र कौशिक ने पाकिस्तान में अमानत नाम की एक स्थानीय लड़की से शादी कर ली थी, जो सेना की एक इकाई में एक दर्जी की बेटी थी।
नवंबर 2001, सेंट्रल जेल, मियांवाली, पाकिस्तान