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MSME का फुल फॉर्म क्या है? (What is MSME Full Form in Hindi), एमएसएमई (MSME) क्या है?, MSME उद्योग के प्रकार, MSME में कौन से बिजनेस आते हैं?
भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना में लघु एवं मध्यम उद्यमों का बड़ा योगदान है। इसीलिए सरकार द्वारा इनके प्रचार-प्रसार के लिए समय-समय पर विभिन्न योजनाएं शुरू की जाती हैं। इसी प्रकार भारत सरकार ने एक विशेष विभाग एमएसएमई (MSME) का गठन किया है। आने वाले समय में इसके बढ़ने की भी संभावना है।
आइये इस आर्टिकल में जानते हैं कि एमएसएमई (MSME) क्या है और यह कैसे काम करता है।
एम (M)= सूक्ष्म (Micro),
एस (S)= लघु एवं (Small and)
एम (M)= मध्यम (Medium)
ई (E)= उद्योग (Enterprises)
Micro Small and Medium Enterprises होता है। इसे हिंदी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग कहते हैं।
इसका प्रबंधन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में एमएसएमई क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, इसके महत्व के कारण इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी कहा जाता है। यह क्षेत्र न केवल रोजगार के अवसर पैदा करता है बल्कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में कुल 633.9 लाख एमएसएमई (MSME) हैं। भारत में, कुल एमएसएमई में से 99% से अधिक सूक्ष्म-उद्यम के रूप में अर्हता प्राप्त करते हैं, जिनमें 630.5 लाख उद्यम शामिल हैं।
क्षेत्राधिकार | भारत सरकार |
मुख्यालय | सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, उद्योग भवन, रफी मार्ग, नई दिल्ली, 110011 |
वार्षिक बजट | ₹22,138 करोड़ (US$2.8 बिलियन) (2023-24 अनुमानित) |
जिम्मेदार मंत्री | नारायण राणे, कैबिनेट मंत्री, भानु प्रताप सिंह वर्मा, राज्य मंत्री |
वेबसाइट | msme.gov.in |
एमएसएमई उद्योग स्थानीय स्तर पर आधारित उद्योग है। इस प्रकार का उद्योग कम जगह में कम लोगों के साथ आसानी से किया जा सकता है।
एमएसएमई उद्योग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –
मैन्युफैक्चरिंग एक अंग्रेजी शब्द है। इसका हिंदी में मतलब विनिर्माण होता है। विनिर्माण का अर्थ है उत्पादन करना कुछ बनाना है। जब कोई चीज़ बनती है तो वह निर्माण के अंतर्गत आती है। उदाहरण के लिए, पापड़ बनाने का व्यवसाय। पापड़ बनाने में ज्यादा जगह नहीं लगती। अगर कोई चाहे तो जिला प्रशासन की अनुमति से अपने घर में ही पापड़ आदि की फैक्ट्री शुरू कर सकता है।
सर्विस सेक्टर में मुख्यतः सेवाएँ प्रदान करने का कार्य किया जाता है। इस क्षेत्र में लोगों और विभिन्न संगठनों को सेवाएं प्रदान करने का काम किया जाता है।
अगर हम पहले के उदाहरण से समझें जब पापड़ फैक्ट्री पापड़ बनाती है और पापड़ को पैक करती है तो अब बारी आती है पापड़ को बाजार में भेजने की। तो यहां पर पापड़ बनाने वाली फैक्ट्री किसी ट्रक या टैम्पू चलाने वाली एजेंसी से संपर्क करती है। एक पापड़ निर्माण फैक्ट्री अपने माल को बाजार तक पहुंचाने के लिए मासिक आधार पर उस एजेंसी से एक मिनी ट्रक किराए पर ले सकती है। बदले में पापड़ फैक्ट्री मिनी ट्रक एजेंसी को भुगतान करती है।
एमएसएमई के अंतर्गत 3 प्रकार के बिज़नेस आते हैं। सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग।
उद्योग प्रकार | निवेश | टर्नओवर |
---|---|---|
सूक्ष्म उद्योग | 1 करोड़ रुपये से कम | 5 करोड़ रुपये से कम |
लघु उद्योग | 10 करोड़ रुपये से कम | 50 करोड़ रुपये से कम |
मध्यम उद्योग | 20 करोड़ रुपये से कम | 100 करोड़ रुपये से कम |
एमएसएमई के अंतर्गत सेवा क्षेत्र में वे सेवा उद्योग सूक्ष्म उद्योग (Micro Industry) कहलाते हैं जो 1 करोड़ रुपये से कम के निवेश से स्थापित किये जा सकते हैं और जिनका वार्षिक कारोबार 5 करोड़ रुपये से कम है।
10 करोड़ रुपये से कम निवेश और 50 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले सभी व्यवसायों को लघु उद्योग यानि छोटे व्यवसायों (Small Industry) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
जिन उद्योगों में निवेश 20 करोड़ रुपये से कम है और उस व्यवसाय का टर्नओवर 100 करोड़ रुपये है, ऐसे व्यवसाय मध्यम उद्योग (Medium Industry) के अंतर्गत आते हैं।
सरकार युवाओं को एमएसएमई के तहत बिजनेस करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। जिसके दो फायदे हैं, एक तरफ देश आत्मनिर्भर भारत के तहत आगे बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ रोजगार के नए अवसर भी खुल रहे हैं। भारत सरकार ने देश में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय बनाया है।
भारत का लगभग 45% रोजगार छोटे उद्योगों द्वारा प्रदान किया जाता है और भारत द्वारा निर्यात किया जाने वाला लगभग 50% सामान छोटे उद्योगों द्वारा ही उत्पादित किया जाता है। इसलिए, भारत सरकार की राय है कि देश में अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम खोले जाने चाहिए ताकि अधिक से अधिक रोजगार पैदा हो सके।
सरकार एमएसएमई के तहत लोन की सुविधा भी मुहैया कराती है। इनमें से कुछ लोन के नाम हैं,
एमएसएमई के साथ पंजीकृत व्यवसायों को बैंक से लाभ मिलता है। जैसे इसमें कम ब्याज दरों पर लोन भी उपलब्ध कराया जाता है। एमएसएमई पंजीकृत कंपनियों के लिए ब्याज दर सामान्य व्यावसायिक ब्याज दर से 1-1.5 प्रतिशत कम होती है।
राज्य सरकार ऐसी कंपनियों को औद्योगिक, बिजली और कर सब्सिडी भी प्रदान करती है। इसके अंतर्गत आने वाली कंपनियों को बिक्री कर में विशेष छूट दी गई है।
एक पंजीकृत कंपनी उत्पाद शुल्क (excise) छूट योजना का भी लाभ उठा सकती है, इसके साथ शुरुआती कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष कर से छूट भी मिलती है। सरकार व्यवसाय स्थापित करने में मदद करती है और विभिन्न प्रकार की सब्सिडी भी प्रदान करती है। इसके जरिए ये कंपनियां ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकती हैं और खुद को स्थापित कर सकती हैं।
एमएसएमई पंजीकृत कंपनियों को सरकारी लाइसेंस और प्रमाणपत्र जल्दी और आसानी से मिलते हैं। सरकार ने छोटे उद्यमों की मदद के लिए कई तरह के सरकारी टेंडर भी खोले हैं, जो छोटे उद्यमों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ही खोले गए हैं।
कुल मिलाकर, एमएसएमई स्टार्टअप बिज़नेस के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। सरकार की मदद से आप अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सहायक इंडस्ट्रीज के रूप में उद्योगों का समर्थन करते हैं, जिससे देश के समग्र औद्योगिक विकास में भारी योगदान मिलता है। ये उद्यम वस्तुओं और वस्तुओं के उत्पादन, विनिर्माण और प्रसंस्करण में लगे हुए हैं।
एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम है। मोटे तौर पर, एमएसएमई उत्पादक व्यवसाय हैं जिनका स्वामित्व या तो व्यक्तिगत रूप से या व्यावसायिक संस्थाओं के पास होता है जो सूक्ष्म-उद्यम के रूप में मानदंडों को पूरा करते हैं।
एमएसएमई में वर्गीकृत व्यवसाय किसी भी प्रकार के हो सकते हैं। वे खाद्य गाड़ियों, किराना दुकानों या सेवा व्यवसायों के रूप में हो सकते हैं। ऐसे कई छोटे उद्योग और मिनीमार्केट हैं जिन्हें अभी भी एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
एमएसएमई तीन प्रकार के होते हैं जिनमें सूक्ष्म उद्यम, लघु उद्यम और मध्यम उद्यम शामिल हैं। इन उद्यमों को टर्नओवर और निवेश के आधार पर विभाजित किया गया है।
भारत में कुल 633.9 लाख एमएसएमई (MSME) हैं। भारत में, कुल एमएसएमई में से 99% से अधिक सूक्ष्म-उद्यम के रूप में अर्हता प्राप्त करते हैं, जिनमें 630.5 लाख उद्यम शामिल हैं।