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भारत की MIIRA पहल क्या है, What is the MIIRA initiative, MIIRA Abhiyan, MIIRA Initiative का मुख्य उद्देश्य क्या है?, Millets का महत्व, Millets उगाना किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प क्यों है?, बाजरा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम,
मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित जी-20 की बैठक के दौरान, भारत ने मिलेट यानी बाजरा की खपत और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव का एक अभियान के माध्यम से दुनिया भर में प्रचार किया जाएगा, जिसमे बाजरा के उपयोग और उसके महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इस आर्टिकल में हम Millets से जुड़े सभी पहलुओं और बिंदुओं के बारे में जानने की कोशिश करते है।
मीरा (MIIRA) का मतलब मिलेट इंटरनेशनल इनिशिएटिव फॉर रिसर्च एंड अवेयरनेस (Millet International Initiative for Research and Awareness) है। यह सिर्फ डोमेस्टिक इनीशिएटिव नहीं है, मतलब इसे यह पूरा अभियान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा।
इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एक मिलेट अनुसंधान केंद्र (Millet Research Center) स्थापित किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष (International year of Millets) घोषित किया है, जिससे यह अभियान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, जहा 72 देशों ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
मिलेट के लिए कई कार्यक्रम और कई गतिविधियां शुरू की जाएंगी, जैसे सम्मेलन और बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी। डाक टिकट और सिक्के जारी किए जाएंगे ताकि लोग बाजरा (मिलेट) के बारे में अधिक जान सकें और लोग इसके बारे में जानने की कोशिश कर सकें।
इससे बाजरे का उत्पादन बढ़ेगा, बाजरे की आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) बढ़ेगी, निवेश और लाभ अधिकतम होगा।
यह पूरा अभियान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इसी वर्ष भारत के पास G-20 की अध्यक्षता है, और वर्तमान में भारत पोषण और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे भारत की अध्यक्षता और प्रभावी होगी और पूरे विश्व के लिए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के हमारे नारे को और बल मिलेगा।
इस अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार एक वेब प्लेटफॉर्म शुरू करने जा रही है, जिसके माध्यम से दुनिया भर के बाजरा के सभी शोधकर्ताओं (Researchers) और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा। उन्हें आपस में जोड़ने का प्रयास किया जाएगा और साथ ही भारत इस अभियान के तहत बाजरा शोध सम्मेलन भी आयोजित करेगा, जिसमें सभी Researchers को आमंत्रित किया जाएगा।
इस क्षेत्र में जो नई तकनीक आई है, उन तकनीकों को लोगों के बीच फैलाने की कोशिश की जाएगी, इसके अलावा इस पूरे अभियान में खपत को लेकर भी जागरुकता की जाएगी, लोगों को अधिक से अधिक बाजरे का सेवन करने के लिए कहा जाएगा।
MIIRA Initiative को शुरू करने के लिए, भारत “सीड मनी” का योगदान देगा, जबकि प्रत्येक G20 सदस्य को बाद में सदस्यता शुल्क के रूप में अपने बजट में योगदान देना होगा।
MIIRA अभियान का मुख्यालय दिल्ली में स्थापित किया जायेगा, और इस मुख्यालय के माध्यम से दुनिया भर के उद्योग और अनुसंधान निकायों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा और उन्हें निवेश प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि इस पूरे क्षेत्र में अधिक से अधिक रीसर्च करके नई नई तकनीक विकसित की जा सके।
ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू जैसी छोटे अनाज वाली फसलों को मिलेट कहा जाता है। मिलेट्स को ‘सुपर फूड’ भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है।
Millets को चावल और गेहूं की तुलना में काफी कम पानी में उगाया जा सकता है, और इसी कारण 90% से अधिक मिलेट भारत के वर्षा सिंचित क्षेत्रों में देखा जाता है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए केवल वर्षा का जल (rainwater) उपलब्ध होता है, इन क्षेत्रों में बाजरा का उत्पादन अधिक होगा क्योंकि यहाँ बारिश के अलावा सिंचाई का कोई दूसरा साधन नहीं होता।
बाजरा (Millets) उगाना किसानों के लिए एक आदर्श (Ideal) विकल्प क्यों है?
इसके अलावा, वर्तमान में दुनिया भर के 131 देशों में बाजरे का उत्पादन होता है और एशिया और अफ्रीका में ऐसे कई देश हैं जहां बाजरे का उपयोग पारंपरिक भोजन के रूप में किया जाता है। भारत दुनिया में मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है, भारत एशिया में मिलेट उत्पादन में 80% योगदान और दुनिया में लगभग 20% योगदान देता है।
बाजरा काफी सस्ता भी होता है, इसके अलावा इसमें हाई प्रोटीन, फाइबर, मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए इसे बेहद जरूरी माना जाता है। Millets हमारी दिनचर्या में उत्पन्न होने वाली सभी समस्याओं और बीमारियों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे ओबेसिटी, डायबिटीज को कंट्रोल करता है।
National Millet Mission 2007: इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य भारत में बाजरा (मिलेट) को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों को बाजरे की खपत के प्रति जागरूक करना है ताकि अधिक से अधिक लोग बाजरा का उपभोग कर सकें और इसकी मांग बढ़ सके। इससे बाजरा उत्पादन करने वाले किसानों को भी इसका लाभ होगा। इसके अलावा सरकार बाजरे को PDS (Public Distribution System) में शामिल कर रही है।
10 अप्रैल 2018 को, भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा ज्वार, बाजरा, रागी, कांगनी, चीना को उनके “उच्च पोषक मूल्य” के लिए ‘Nutri Cereals (पोषक अनाज/सुपर फूड)’ के रूप में घोषित किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में, विभिन्न प्रकार के बाजरा (मिलेट) को ‘श्री अन्ना (Shri Anna)’ के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि बाजरा “सदियों से हमारे भोजन का एक अभिन्न अंग” रहा है। उन्होंने आगे कहा, भारत को मिलेट हब बनाने के लिए हैदराबाद स्थित भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (Millet Research Institute) को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा और यहां अधिक से अधिक शोध को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके लिए अधिक से अधिक फंडिंग दी जाएगी।
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
भारत ने बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए बाजरा इंटरनेशनल इनिशिएटिव फॉर रिसर्च एंड अवेयरनेस (MIIRA) नामक एक वैश्विक पहल का मसौदा प्रस्तावित किया।
अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष का विषय “स्वस्थ बाजरा, स्वस्थ लोग (Healthy Millets, Healthy People)” है।
जागरूकता पैदा करने और बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार के आदेश पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है।
मिलेट्स को ‘पोषक अनाज/सुपर फूड (Nutri Cereals)’ भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है।